मध्य प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों की ट्रांसफर पॉलिसी 2025 का ड्राफ्ट तैयार हो गया है। उम्मीद की जा रही है कि इस साल सही समय पर कर्मचारियों के तबादले की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। पिछली बार अधिकारियों, विधायकों और मंत्रियों के बीच लड़ाई के कारण ट्रांसफर पॉलिसी तैयार हो जाने के बावजूद मुख्यमंत्री ने प्रतिबंध नहीं हटाया था। इस बार कुछ ऐसा इंतजाम किया जा रहा है कि, ट्रांसफर के कारण सरकार के माथे पर कलंक ना लगे।
जनवरी से प्राथमिकता वाले शुरू हो चुके हैं
सामान्य प्रशासन विभाग के सूत्रों के मुताबिक तबादला नीति लगभग तैयार है, जिसमें कुछ बदलाव प्रस्तावित हैं, जिसकी प्रक्रिया शुरू कर दी है। सीएम डॉ. मोहन यादव और मुख्य सचिव अनुराग जैन की मौजूदगी में एक बैठक होनी है। इसके बाद नीति कैबिनेट बैठक में जाएगी। बता दें, जनवरी में सरकार ने उच्च प्राथमिकता वाले तबादलों के रास्ते खोले थे। इसी के साथ स्पष्ट हो गया था कि इस बार सामान्य स्थानांतरण प्रक्रिया भी शुरू होगी।
तृतीय श्रेणी कर्मचारियों की ट्रांसफर प्रक्रिया में सरकार का सबसे बड़ा सिर दर्द होता है कि, कई प्रकार के आरोप लग जाते हैं। मंत्री और विधायक अपनी मर्जी के मुताबिक ट्रांसफर लिस्ट बनाना चाहते हैं और कर्मचारी दो भागों में विभाजित हो जाते हैं। कर्मचारियों का एक वर्ग राजनीतिक संरक्षण का लाभ उठाना चाहता है और दूसरा वर्ग सरकार द्वारा निर्धारित पॉलिसी का पालन चाहता है। प्रत्येक चरण पर यह लाभ हानि का सौदा दिखाई देता है। यही कारण है कि पिछली बार मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने अंतिम समय में यू टर्न ले लिया था। अब देखना यह है कि इस बार मध्य प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों की स्थानांतरण नीति में ऐसा क्या प्रावधान किया जाता है जो विवादों की संख्या को न्यूनतम करने का काम करेगा।
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