MP विधानसभा में एकमात्र कमलनाथ ने आदिवासी हत्यारों के खिलाफ आवाज उठाई - Bhopal Samachar

मध्य प्रदेश की विधानसभा में आज नक्सली मुठभेड़ में मारे गए एक आदिवासी व्यक्ति के मामले में पूरी कांग्रेस पार्टी ने सदन से वॉक आउट कर दिया। किसी ने मऊगंज में 250 आदिवासियों द्वारा किए गए हत्याकांड का जिक्र तक नहीं किया। एकमात्र कमलनाथ ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने इस मामले को उठाया और कहा कि पुलिस को ऐसे अपराधियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने चाहिए। 

मऊगंज हत्याकांड की कहानी

मऊगंज हत्याकांड की कहानी हर मोड़ पर विश्वासघात से भरी हुई है। सबसे पहले उन्होंने सनी द्विवेदी को धोखे से बुलाया और फिर बंधक बनाकर मार डाला। उसे मुक्त करने आई पुलिस टीम को अपने चक्रव्यूह के भीतर तक आने दिया। फिर पूरी पुलिस टीम को बंधक बना लिया। यहां तक की महिला अधिकारियों पर भी रहम नहीं किया। अंत में जब हाई अलर्ट जारी हुआ और बैकअप फोर्स ने फायरिंग करते हुए गांव में एंट्री मारी तब कहीं जाकर स्थिति पर नियंत्रण हो पाया। तब तक आदिवासियों ने एक ब्राह्मण युवक और दूसरे ब्राह्मण पुलिस अधिकारी की हत्या कर दी थी। 10 से ज्यादा पुलिस कर्मचारी घायल हो गए थे। तहसीलदार के हाथ पैर तोड़ दिए। 

विधानसभा में आदिवासी विधायकों की लामबंदी

मध्य प्रदेश विधानसभा में आज आदिवासी विधायकों की लामबंदी स्पष्ट रूप से दिखाई दी। कांग्रेस पार्टी में आदिवासियों की राजनीति करने वाले सभी विधायक मंडला में हुए नक्सली एनकाउंटर को फर्जी बताते रहे। भारतीय जनता पार्टी के किसी भी आदिवासी विधायक ने इसका विरोध नहीं किया, और पूरी विधानसभा में से किसी भी आदिवासी विधायक ने मऊगंज में हुए घटनाक्रम की निंदा नहीं की। कोई शोक व्यक्त नहीं किया। यहां तक की जिक्र भी नहीं हुआ। एकमात्र कमलनाथ ने इस मुद्दे को उठाया और दृढ़तापूर्वक कहा कि, यह कानून और व्यवस्था की कमजोरी है। 

पुलिस विभाग में आक्रोश 

की घटना को लेकर मध्य प्रदेश पुलिस विभाग में भारी आक्रोश देखा जा रहा है। नेताओं की वोट बैंक वाली पॉलिसी के खिलाफ पुलिस विभाग की जमीनी कर्मचारियों में नाराजगी बढ़ रही है। आज विधानसभा में पुलिस द्वारा एक (पुलिस द्वारा नक्सली घोषित) आदिवासी का एनकाउंटर कर दिए जाने के खिलाफ हंगामा हुआ और वॉकआउट कर दिया गया। जबकि मऊगंज में आदिवासियों द्वारा पुलिस पार्टी पर हमला किया गया। एक पुलिस अधिकारी की हत्या कर दी गई। कई पुलिस कर्मचारी घायल हुए। तहसीलदार के हाथ पैर तोड़ दिए, लेकिन विधानसभा में इस घटना की निंदा तक नहीं हुई।

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