मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के नजदीक सीहोर जिले में तीन शिक्षकों के फर्जी निलंबन का मामला सामने आया है। फर्जी निलंबन यानी, मीडिया के पूछने पर बताया गया कि शिक्षकों को निलंबित कर दिया गया है परंतु निलंबन आदेश शेयर नहीं किया गया। तीनों शिक्षक 11 फरवरी से जेल में है।
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सीहोर में फर्जी खाते खोलकर धोखाधड़ी कर 70 लाख से ज्यादा बीमा राशि निकालने वाले 39 आरोपियों को 11 फरवरी को न्यायालय ने सजा सुनाई थी। सजा के बाद न्यायालय ने इनमें से 38 आरोपियों को जेल भेज दिया था। जिन 38 आरोपियों को जेल भेजा गया था इनमें तीन शिक्षक भी शामिल हैं। रामेश्वर चौधी, जगदीश वर्मा और रघुनंदन चौधरी ये तीनों शिक्षक एक ही स्कूल निपानिया कलां में पदस्थ हैं। मध्य प्रदेश सिविल सेवा नियमों के अनुसार, यदि कोई कर्मचारी 24 घंटे से अधिक जेल में रहता है तो उसे निलंबित कर दिया जाता है और सजायाफ्ता कर्मचारियों को बर्खास्त कर देने का प्रावधान है। तीनों शिक्षकों को दिनांक 11 फरवरी को जेल भेजा गया था। जेल अधीक्षक द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय को इसकी विधिवत्त सूचना "जेल प्रपत्र" भी भेजी गई। इसके बावजूद जिला शिक्षा अधिकारी श्री संजय सिंह तोमर ने तीनों शिक्षकों को सस्पेंड नहीं किया।
जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा पद का दुरुपयोग, नियमों का उल्लंघन
इस मामले में सीहोर के जिला शिक्षा अधिकारी श्री संजय सिंह तोमर द्वारा स्पष्ट रूप से पद का दुरुपयोग और मध्य प्रदेश सिविल सेवा नियमों का उल्लंघन किया गया है। यदि भोपाल कलेक्टर ने जिला शिक्षा अधिकारी को मनमानी की छूट नहीं दी है तो उन्हें इस मामले की जांच करवानी चाहिए और जिला शिक्षा अधिकारी को निलंबित करने के लिए प्रस्ताव भेजना चाहिए।
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