सरकारी स्कूल में लगे हुए एक बल्ब की रक्षा करना, सरकारी शिक्षक को भारी पड़ गया। पुलिस थाने में मुकदमा दर्ज हुआ है और कलेक्टर ने सस्पेंड भी कर दिया। मामला मध्य प्रदेश के बालाक्वाड़ाखरगोन का है।
समाचार का विस्तार - माध्यमिक शिक्षक दिनेश पटेल सस्पेंड
कलेक्टर भव्या मित्तल द्वारा दिनांक 12 मार्च 2025 को जारी किए गए आदेश क्रमांक 403 में लिखा है कि, दिनांक 06.03.2025 को थाना बलकवाड़ा में छात्र देव पिता महेश हतागले कक्षा 8वी द्वारा रिपोर्ट दर्ज कराई गई है, कि "मेरा दिनांक 05.03.2025 को संस्कृत का पेपर था। पेपर देने के लिए मै कन्या स्कूल बामंदी गया, पेपर देने के बाद शाम करिबन 4:30 बजे वापस घर आ रहा था, तो दिनेश पटेल सर ने बुलाया व मुझे थप्पड़ मारा व मुझसे बोला की तुने स्कूल का बल्ब क्यों तोड़ा"। छात्र द्वारा मना करने पर श्री पटेल द्वारा जातिवाचक शब्दों का उपयोग किया गया। थाना बलकवाड़ा द्वारा अपराध कमांक 62/25 धारा 115 (2) बीएनएस, 3 (1) (द), 3 (1) (घ), 3 (2) (va) एससी-एसटी एक्ट, 82 किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम 2015 का पंजीबद्ध कर अनुसंधान में लिया गया है।
थाना प्रभारी पुलिस थाना बलकवाड़ा का पत्र क.62 दिनांक 09.03.2025 प्राप्त हुआ, जिसमें उल्लेख किया गया है, कि श्री दिनेश पटेल माध्यमिक शिक्षक द्वारा छात्र देव पिता महेश हतागले के साथ मारपीट करने तथा जातिवाचक शब्दों का उपयोग करने के आरोपों की पुष्टि होती है।
श्री दिनेश पटेल माध्यमिक शिक्षक शासकीय माध्यमिक विद्यालय बामंदी का उक्त कृत्य म.प्र. सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 3 के प्रावधानो के विपरीत होकर दण्ड की श्रेणी में आता है।
अतः पदीय कर्तव्यों के निवर्हन में घोर लापरवाही एवं उदासीनता बरती जाने के कारण दिनेश पटेल माध्यमिक शिक्षक शास०माध्यमिक विद्यालय बामंदी संकुल शासकीय उमावि बामंदी विकासखण्ड कसरावद जिला खरगोन को म.प्र. सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम 1966 के नियम 9 (क) के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है। निलंबन अवधि में संबंधित का मुख्यालय विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी कसरावद जिला खरगोन रखा जाता है। निलंबन अवधि में संबंधित को नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ते की पात्रता रहेगी।
ध्यान देने योग्य कुछ विशेष बिंदु
इस मामले में पुलिस और प्रशासन ने गजब की सक्रियता का परिचय दिया है। दिनांक 5 मार्च को घटना हुई, 6 मार्च को पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया और 9 मार्च को जांच रिपोर्ट कलेक्टर की टेबल पर थी। मध्य प्रदेश में कई जिले ऐसे हैं जहां इतनी देर में बयान दर्ज नहीं हो पाता। कुछ चले ऐसे भी हैं जहां पेड़ पर लड़की डेड बॉडी को उतारने में 24 घंटे से ज्यादा का समय लग जाता है, लेकिन खरगोन पुलिस की सक्रियता गजब की है।
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ कोई भी गंभीर मामला दर्ज करने से पहले डीएसपी लेवल के अधिकारी द्वारा मामले की जांच की जानी चाहिए। उम्मीद है कि खरगोन कलेक्टर ने शिक्षक को सस्पेंड करने से पहले यह देख लिया होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि एकांत में कोई विवाद हुआ है। वहां पब्लिक मौजूद नहीं थी। तो एट्रोसिटी एक्ट का मामला दर्ज नहीं किया जाना चाहिए। उम्मीद है खरगोन कलेक्टर ने शिक्षक को सस्पेंड करने से पहले यह भी सुनिश्चित कर लिया होगा।
कलेक्टर के आदेश से स्पष्ट होता है कि, शिकायत करने वाला बालक किसी दूसरे स्कूल का विद्यार्थी है।
यह भी स्पष्ट होता है कि, शिक्षक और विद्यार्थी दोनों एक दूसरे को पहले से नहीं जानते थे और दोनों की पहले से कोई रंजिश भी नहीं थी।
यह स्पष्ट होता है कि शासकीय शिक्षक ने, सरकारी संपत्ति का नुकसान किए जाने पर विवाद उत्पन्न किया था।
इन बिंदुओं के आधार पर, यह भी माना जा सकता है कि, विद्यार्थी के उद्दंडता पर शिक्षक का क्षणिक आक्रोश रहा होगा, लेकिन क्या यह इतना गंभीर अपराध है। एक शासकीय शिक्षक के विरुद्ध एट्रोसिटी एक्ट, पोक्सो एक्ट और सस्पेंड।
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