मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता रखने वाले सभी सरपंचों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया है। पन्ना के जिला अध्यक्ष के नाम त्यागपत्र में लगभग 20 सरपंचों के हस्ताक्षर हैं। जबकि पन्ना की लोकल मीडिया ने 60 सरपंचों द्वारा इस्तीफा दिया जाने की खबर प्रसारित की है।
सामूहिक इस्तीफा का कारण
सामूहिक इस्तीफा में लिखा है कि, आज सरपंच संघ, जिला पन्ना के समस्त सरपंच पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे रहे हैं। ज्ञातव्य है कि ग्राम पंचायतों के निर्माण कार्यों में जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों पर अविश्वास करना तथा ग्राम पंचायतों को लगातार मनरेगा जैसी योजनाओं में समाप्त करने का प्रयास करना, ग्राम पंचायतों के विकास को अवरुद्ध करने की मंशा को दर्शाता है। मनरेगा में मजदूरी भुगतान के लिए पूर्व में नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम के अंतर्गत श्रमिकों की फोटो अपलोड करवाई गई थी। इसके बाद श्रमिकों का हेड काउंट करवाया गया और अब आई-ब्लिंक के आधार पर मजदूरी भुगतान किया जाना है, जो ग्रामीण श्रमिकों को लगातार परेशान करने और पलायन के लिए मजबूर करने का प्रयास दर्शाता है। यह वर्तमान सरकार की नीति प्रतीत होती है।
ग्रामीण क्षेत्रों में सप्ताहिक मजदूरी की आवश्यकता होती है, लेकिन विभिन्न मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से सरकार की मंशा यही दिखती है कि मजदूर गाँवों के बजाय शहरों की ओर पलायन करें। ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल नेटवर्क की समस्या के कारण भी यह परेशानी लगातार बनी हुई है। पूर्व में भी राष्ट्रीय सरपंच संघ के माध्यम से हमने यह मुद्दा प्रदेश स्तर पर उठाया था, किंतु सरकार द्वारा कोई सुनवाई नहीं की गई।
ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी शत-प्रतिशत आधार कार्ड नहीं बन पाए हैं। ऐसे में समग्र आईडी के वाईसी (KYC) करने में भी समस्या आ रही है। सरकार को अपने लोगों के आधार बनाने के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर व्यवस्था करनी चाहिए, जिससे समस्त ग्रामवासियों का सर्वे कर उनके आधार कार्ड बनाए जा सकें और उसके उपरांत उनकी वाईसी की जा सके।
पीएम आवास की राशि: शहरों के समतुल्य करने के विषय में भी सुनवाई नहीं हो रही है। आज आवास में लगने वाली सामग्री की लागत 2 लाख रुपये हो गई है।
जन सुनवाई: पंचायत स्तर पर जन सुनवाई के लिए जो आदेश हुआ था, उसमें सरपंच की भूमिका को शून्य कर दिया गया।
समग्र आईडी पोर्टल: पोर्टल पर विसंगतियों के कारण नाम काटने और जोड़ने में लगातार समस्या आ रही है, जिसका निराकरण नहीं हो पा रहा।
पीएम आवास सर्वे: सर्वे में सरपंच और ग्राम पंचायत की भूमिका को शून्य मान लिया गया है। ग्राम जागर सहायक को वार्ड-वार सर्वे करने के उपरांत सरपंच को सूचित करना चाहिए और सूची के अनुसार अप्रूवल लेना चाहिए। किंतु पंचायती राज में सरपंचों के अधिकार शून्य होने के कारण उपरोक्त सभी समस्याएँ सरपंचों को यह कठोर फैसला लेने के लिए बाध्य कर रही हैं।
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