मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में कलेक्टर श्री शीलेन्द्र सिंह ने एक उच्च श्रेणी शिक्षक को सिर्फ इसलिए सस्पेंड करने का प्रस्ताव कमिश्नर के पास भेज दिया है क्योंकि, वह एक एक्सीडेंट में दिव्यांग हो गया था और उसने कलेक्टर से अपने घर के नजदीक वाले स्कूल में स्थापना हेतु निवेदन कर दिया था।
इमरजेंसी से ज्यादा अनुशासन जरूरी
मध्य प्रदेश में यदि कोई कर्मचारी अपने इमीडिएट ऑफिसर अथवा विभागीय जिला अधिकारी के समक्ष निवेदन किए बिना, सीधे किसी वरिष्ठ अधिकारी के समक्ष निवेदन कर देता है तो इसे सिविल सेवा आचरण नियमों का उल्लंघन के तहत अनुशासनहीनता माना जाता है। व्यावहारिक तौर पर ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई तब की जाती है जब, कर्मचारी अपने इमीडिएट ऑफिसर अथवा जिले के अधिकारी के सामने पॉलीटिकल पावर का प्रदर्शन कर रहा हो, लेकिन छिंदवाड़ा में, एक्सीडेंट के कारण 50% दिव्यांग हो गए एक शिक्षक को केवल इसलिए सस्पेंड कर दिया क्योंकि वरिष्ठ शिक्षक ने सीधे उनके समक्ष, नवीन पर स्थापना हेतु निवेदन कर दिया था।
उच्च श्रेणी शिक्षक का नाम श्री भुवनलाल सनोडिया है। विकासखंड हर्रई की शासकीय माध्यमिक शाला हड़ाई में पदस्थ है। पिछले दिनों एक्सीडेंट के कारण 50% दिव्यांग हो गए। मध्य प्रदेश में कर्मचारियों के स्थानांतरण पर प्रतिबंध लगा हुआ है। जिले के अंदर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ट्रांसफर की पावर प्रभारी मंत्री एवं कलेक्टर के पास है। शायद यही कारण रहा होगा कि मंगलवार को संकुल केन्द्र सुरलाखापा के उच्च श्रेणी शिक्षक श्री भुवनलाल सनोडिया के द्वारा जनसुनवाई में जिला कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत हो गए। उन्होंने अपनी गंभीर स्थिति के विवरण सहित एक आवेदन कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत किया जिसमें कन्या शिक्षा परिसर छिन्दवाड़ा अथवा बालक माध्यमिक शाला छिन्दवाड़ा में स्थानांतरण किये जाने के लिये निवेदन किया गया है।
मध्य प्रदेश में ऐसे मामलों में कलेक्टर द्वारा सबसे पहले यह देखा जाता है कि क्या सचमुच कर्मचारी का एक्सीडेंट हुआ है और वह 50% दिव्यांग हो गया है। क्या वह सचमुच लाचार हो गया है। यदि सही है तो फिर उसके आवेदन पर संवेदनशीलता पूर्वक विचार किया जाता है। यदि उसने नियम का पालन नहीं किया है तो उसे नियम का पालन करने हेतु बोला जाता है। कलेक्टर श्री शीलेन्द्र सिंह ने ऐसा कुछ भी नहीं किया बल्कि निवेदन करने वाले शिक्षक को सस्पेंड करने हेतु प्रस्ताव भेज दिया।
वैसे एक प्रकार से यह प्रस्ताव संबंधित शिक्षक के लिए लाभदायक है। अब उन्हें लंबे समय तक स्कूल नहीं जाना पड़ेगा। बाद में हाई कोर्ट से इस प्रकार के निलंबन को निरस्त कर दिया जाएगा। बकाया वेतन भी मिल जाएगा।
वैसे यह भी हो सकता है कि वरिष्ठ शिक्षक को पहले से पता था कि कलेक्टर इस प्रकार के आवेदन को देखकर निलंबन की कार्रवाई करेंगे। इसलिए उसने सोच समझकर जनसुनवाई में आवेदन किया हो। पिछले कुछ दिनों से छिंदवाड़ा में हर रोज कम से कम एक शिक्षक को निलंबित किया जा रहा है।
यह भी हो सकता है कि, वरिष्ठ शिक्षक को लाभ पहुंचाने के लिए कलेक्टर ने निलंबन की कार्रवाई की हो। गुना जिले में शिक्षकों की ट्रांसफर इसी प्रकार किए जाते थे। पहले उन्हें सस्पेंड कर दिया जाता था फिर 2-3 महीने बाद नए स्कूल में पोस्टिंग कर दिया जाता था।
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