लोकशिक्षण संचालनालय भोपाल द्वारा कक्षा नवी पढ़ाने वाले हिंदी, अंग्रेजी एवं गणित के शिक्षकों के ब्रिज कोर्स प्रशिक्षण का आदेश जारी किया गया है। आदेश में संभाग स्तर पर 3 दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण 1 मार्च से 25 मार्च के बीच आयोजित किये जाने का निर्देश दिया गया है जबकि आदेश ही 5 मार्च की दिनांक में जारी किया गया है।
कार्यक्रम जिले में हो सकता है तो फिर संभाग में क्यों बुलाया
प्रशिक्षण देने के लिए हर जिले से तीनों विषय के दो से चार रिसोर्स पर्सन प्रशिक्षित किये गए हैं। अब पहला गंभीर प्रश्न ये है कि प्रशिक्षण जिले पर आयोजित न किया जाकर संभाग पर क्यों किया जा रहा है? जब रिसोर्स पर्सन जिले से ही प्रशिक्षित किये गए हैं तो फिर हर जिले से सैकड़ों शिक्षकों को संभाग पर बुला कर ही क्यों प्रशिक्षण देना है? क्या बजट लैप्स होने से पहले टी.ए., डी.ए., आवास व्यवस्था के नाम पर ठिकाने लगाना है? साथ ही सैकड़ों शिक्षकों को मानसिक और शारीरिक कष्ट देना है?
अपने गृह जिले में प्रशिक्षण होने पर वह ज्यादा सहभागिता कर पायेगा या 200 किलोमीटर दूर अपने घर की चिंता करते हुए ज्यादा सीखेगा।
15 मार्च से बोर्ड मूल्यांकन, फिर प्रशिक्षण कैसे होगा
साथ ही 15 मार्च से बोर्ड मूल्यांकन प्रारम्भ हो रहा है, क्या लोकशिक्षण संचालनालय को इस बात का ज्ञान नहीं है?
आदेश में विद्यालय स्तर पर 1 अप्रैल से ब्रिज कोर्स प्रारम्भ करने के निर्देश दिए गए हैं जिसमे 5 अप्रैल को प्री टेस्ट आयोजित किये जाने का निर्देश है। वास्तविकता यह है कि विद्यालय में प्रवेश के लिये बच्चे ही जून के आखिर से आना प्रारम्भ होते हैं जो अगस्त आखिर तक आते रहते हैं। पिछले वर्ष जब प्री टेस्ट हुए तब भी 5% बच्चे भी टेस्ट में शामिल नहीं हो पाए थे फिर इस बार तो अप्रैल में ही प्री टेस्ट लेने का निर्देश है।
जब प्री टेस्ट लेना है तब भी मूल्यांकन कार्य में शिक्षक संलग्न रहेंगे। सारी कवायद केवल एक खाना पूर्ति बन के रह जायेगी। ये बात विभाग को भी पता है। फर्जी आंकड़े भर के पोर्टल पर दर्ज हो जाएंगे।
नाम गोपनीय रखने की शर्त पर उपरोक्त जानकारी देते हुए एक शिक्षक ने अपील की है कि, कृपया प्रशिक्षण को व्यवहारिक रूप दें प्रशिक्षण जिला स्तर पर कराएं एवं बोर्ड मूल्यांकन समाप्त होने के बाद कराएं जिससे शिक्षक भी बिना मानसिक तनाव के प्रशिक्षण ले सके।
प्री टेस्ट की तिथि भी जून माह में रखें क्योकि आज भी ग्रामीण क्षेत्रों के सैकड़ों स्कूलों में न तो बिल्डिंग है, न बिजली है और न ही पानी की कोई व्यवस्था है ऐसे में कोई बच्चा गर्मी में कष्ट झेलने स्कूल नहीं आएगा और न ही पालक अपने बच्चों को प्रवेश दिलाने जून के पहले आएंगे।
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