NASA सहित दुनिया की सभी अंतरिक्ष एजेंसियों ने कंफर्म किया है कि Saturn Rings गायब हो गए हैं। Saturn Rings का हिंदी अर्थ होता है शनि के छल्ले और भारतीय ज्योतिष में इन्हें शनि देव के चक्र बताया गया है। ज्योतिष में शनि देव को न्याय का देवता अथवा कर्म फल प्रदाता बताया गया है। अर्थात एक ऐसा ग्रह जो आपके कर्मों के अनुसार आपको फल प्रदान करता है। शनिदेव द्वारा कर्मों के फल मृत्यु के बाद नहीं बल्कि मृत्यु से पहले जीवन के दौरान ही दिए जाते हैं।
Rare Cosmic Event - Ring Plane Crossing
अंतरिक्ष के वैज्ञानिकों के अनुसार यह एक दुर्लभ खगोलीय घटना है जिसे "रिंग प्लेन क्रॉसिंग" (Ring Plane Crossing) कहा जाता है। सन 2009 में भी ऐसा ही हुआ था। वैज्ञानिकों को कहना है कि पृथ्वी और शनि के बीच में Tricky Alignment के कारण ऐसा होता है। आप तो जानते ही हैं कि पृथ्वी अपने अक्ष पर 23.5 डिग्री झुकी हुई है। इसी प्रकार शनि ग्रह भी अपने अक्ष पर 26.7 डिग्री झुका हुआ है। पृथ्वी जब अपने सबसे लंबे 29.4 साल वाले ऑर्बिट में सूर्य के चारों ओर परिक्रमा लगती है तो पृथ्वी के 23.5 डिग्री वाले झुकाव के कारण ही शनि के चक्र को देखने का तरीका बदल जाता है। यही कारण के प्रत्येक तेरा अथवा 15 साल में एक बार शनि के चक्र पृथ्वी से दिखाई देना बंद हो जाते हैं।
शनिदेव के दुर्लभ दर्शन सिर्फ एक सप्ताह के लिए
इस साल 2025 में यह रिंग प्लेन क्रॉसिंग खगोलीय घटना 22 मार्च से शुरू हो गई है। इसके कारण पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध (भारत सहित 150 देश) में रहने वाले लोग सूर्योदय के ठीक पहले और सूर्य के बिल्कुल पास शनिदेव के दर्शन कर सकते हैं। अप्रैल के महीने में शनि देव के चक्र फिर से दिखाई देने लगेंगे। प्रत्येक आने वाले साल में शनि देव की यह चक्र और ज्यादा स्पष्ट होते चले जाएंगे और सन 2032 में शनि देव के सभी चक्र स्पष्ट रूप से दिखाई देंगे।
वैज्ञानिकों के अनुसार यह एक खगोलीय घटना है जबकि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि देव के न्याय चक्र का प्रभाव शून्य हो गया है। आने वाले दिनों में इसमें वृद्धि होगी और सन 2032 में शनि देव अर्थात न्याय के देवता पूर्ण शक्तिशाली होंगे।
शनि देव की टोटल कितने न्याय चक्र होते हैं
NASA के अनुसार शनि ग्रह के टोटल 7 न्याय चक्र होते हैं। जबकि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि ग्रह के साढ़े सात न्याय चक्र होते हैं। हालांकि वैज्ञानिक, ज्योतिष शास्त्र को गलत नहीं कहते क्यूंकि सितंबर 1979 से पहले तक वैज्ञानिक शनि ग्रह के केवल पांच चक्र देख पाए थे। छटवां चक्र सितंबर 1979 में The Pioneer 11 Spacecraft द्वारा की गई। इसके 1 साल बाद सन 1980 में Voyager 1 नाम के Spacecraft के माध्यम से शनि के सातवें चक्र को देखा गया। ✒ उपदेश अवस्थी।
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