भारतीय प्रशासनिक सेवा की महिला अधिकारी एवं ग्वालियर कलेक्टर रुचिका चौहान की कर्तव्य परायणता को लेकर हाई कोर्ट ने बड़ी गंभीर टिप्पणी की है। जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने कहा कि, आप पब्लिक सर्वेंट होकर भी पब्लिक का काम ठीक से नहीं कर रहे हैं। खुद को राजा मान रहे हैं।
हाई कोर्ट ने 2018 में आदेश दिया था, आज तक पालन नहीं हुआ
मुरैना के रहने वाले राम कुमार गुप्ता के भुगतान को लेकर लेबर कोर्ट ने 2017 में RRC जारी की थी, लेकिन उसके काफी प्रयास के बाद भी जिस विभाग में वह काम करता था, वहां से उसका भुगतान नहीं हुआ। उसने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। सुनवाई करते हुए कोर्ट ने 2018 में आदेश दिया कि कलेक्टर अपनी निगरानी में भुगतान की प्रक्रिया को संपादित करवाएं। इसके बाद भी न्यायालय के आदेश का पालन नहीं हुआ। रामकुमार गुप्ता ने अवमानना याचिका दायर कर दी। इसकी सुनवाई के दौरान शुक्रवार को हाईकोर्ट ने ग्वालियर कलेक्टर रुचिका चौहान को जमकर खरी-खोटी सुनाई हैं।
ग्वालियर कलेक्टर दोषी घोषित, सजा की तारीख निर्धारित
हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान उनसे पूछा कि आपको इस RRC के बारे में कब जानकारी मिली? कलेक्टर ने बताया कि उन्हें दिसंबर में जानकारी मिली है। कोर्ट ने पूछा कि तब से अब तक आपने क्या किया? इसका रिकॉर्ड दीजिए। कलेक्टर के पास ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं था। कोर्ट ने उन्हें जिस मामले में अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए तलब किया था उस मामले के संबंध में उनके पास कोई डॉक्यूमेंट नहीं था। इस बात को लेकर हाई कोर्ट ने नाराजगी प्रकट की और कलेक्टर को दोषी बताते हुए, सजा के निर्धारण हेतु 11 मार्च की तारीख घोषित कर दी। इसी दौरान जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने कहा कि आप पब्लिक सर्वेंट होकर भी पब्लिक का काम ठीक से नहीं कर रहे हैं। खुद को राजा मान रहे हैं।
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