मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल आजकल बड़े दर्द से गुजर रही है। जानवरों को गर्मी से बचने के लिए ग्रीन नेट, हरा चारा और कूलर आदि विशेष प्रकार की व्यवस्थाएं की जा रही है, लेकिन इसी राजधानी में इंसानों को गर्मी से बचने के लिए कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं। भोपाल नगर निगम ने गर्मी में प्यासे राहगीरों के लिए एक प्याऊ तक नहीं लगवाई है।
भोपाल में जानवरों को गर्मी से बचाने के लिए क्या-क्या किया
- वन विहार में शेर, बाघ के हाउस की खिड़कियों में पर्दे और ग्रीन नेट लगाए गए हैं।
- हाउस में कूलर भी रखे हैं। ताकि, ठंडक रहे।
- जानवरों को खाने में साल्ट लिक्स और मिनरल मिक्चर दिया जा रहा है।
- खुले में विचरण करने वाले हिरण, सांभर को हरा चारा दिया जा रहा है।
- जानवरों के लिए पानी की पर्याप्त व्यवस्था की गई है।
- लंगूरों के लिए जगह-जगह पर पानी रखा गया है।
- मोर, सांभर, हिरण, जंगली सूअर आदि के लिए अलग से पानी की व्यवस्था।
- हाउस में शेर और बाघ के लिए होद बनाई गई है। जहां वे मस्ती करते हुए नजर आते हैं।
भोपाल में इंसानों को गर्मी से बचाने के लिए क्या किया गया है
- चिलचिलाती धूप से बचाने के लिए छांव का इंतजाम नहीं किया गया है।
- प्रमुख सार्वजनिक स्थानों जैसे बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, बाजार और चौराहों पर मुफ्त पेयजल स्टेशन (वाटर कियोस्क) नहीं बनाए गए हैं।
- मोबाइल वाटर वैन की तो कोई योजना ही नहीं है।
- समाजसेवियों द्वारा लगाए जाने वाले मौसमी प्याऊ के लिए पानी तक नहीं दे रहे।
- ठंडा पानी और ओआरएस (ORS) पर तो विचार ही नहीं किया गया है।
- सड़कों, फुटपाथों और ट्रैफिक सिग्नल पर अस्थायी शेड्स या हरे जाल इंदौर में लगाते हैं भोपाल में नहीं।
बिजली वाले बिजली काट कर झटका देते हैं
दुनिया भर में लोगों को बिजली के करंट का झटका लगता है परंतु भोपाल में बिजली कंपनी वाले 6-6 घंटे की कटौती करके हीटस्ट्रोक का पूरा इंतजाम कर देते हैं। ऐसी स्थिति का, केवल पूरी तरह से स्वस्थ व्यक्ति ही सामना कर सकता है। बच्चे, बुजुर्ग और बीमार लोग तड़प जाते हैं। मध्य प्रदेश सरकार के ऊर्जा मंत्री श्री प्रद्युमन सिंह तोमर बिजली बचाने के लिए कुर्ते पर प्रेस नहीं करते। प्रेस उनके कुर्ते की प्रेस से जो बिजली की बचत होती है, उनका स्टाफ उनके घर और ऑफिस में बिना वजह एयर कंडीशनर चला कर उस बिजली का उपयोग कर लेता है।
मंत्री जी का पूरा फोकस केवल अपनी विधानसभा और श्रीमंत महाराज साहब के लोकसभा क्षेत्र पर है। इसके अलावा कहां कितनी बिजली कटौती हो रही है इस बात से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है। ऊर्जा मंत्री की लापरवाही का आलम यह है कि, बिजली कटौती की समस्याओं के समाधान के लिए समाधान ऑनलाइन का आयोजन करना पड़ रहा है। इसके अलावा कर भी कह सकते हैं। श्रीमंत महाराज साहब की कोठी के मंत्री हैं, कोई कुछ कह नहीं सकता और कोई कुछ कह भी दे दो मंत्री जी को फर्क नहीं पड़ता।
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