BNSS-193: पुलिस चार्जशीट में क्या होता है? Investigation की समय सीमा क्या है?

जब कोई पुलिस अधिकारी संज्ञेय (Cognizable) या असंज्ञेय (Non-Cognizable) अपराध की जांच (Investigation) करता है, तो वह आरोपी (Accused) के अपराध को साबित करने के लिए विभिन्न साक्ष्य (Evidence) एकत्र करता है। वह समय-समय पर केस डायरी (Case Diary) के माध्यम से न्यायालय (Court) को प्रगति बताता है। प्रत्येक अपराध की जांच (Investigation) के लिए एक निश्चित समय सीमा होती है। जांच पूरी होने पर पुलिस अधिकारी पूरी रिपोर्ट, यानी चार्जशीट (Charge Sheet), मजिस्ट्रेट (Magistrate) या न्यायालय (Court) को प्रस्तुत करता है। आइए जानें कि चार्जशीट (Charge Sheet) कैसे बनती है। 

FIR के बाद जांच की समय सीमा

Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita (BNSS), 2023: धारा 192 के अनुसार, कोई पुलिस अधिकारी किसी अपराध की जांच (Investigation) कर रहा है, तो उसे 90 दिनों के भीतर बिना विलंब के अपनी रिपोर्ट (Report) न्यायालय (Court) या मजिस्ट्रेट (Magistrate) को प्रस्तुत करनी होगी। यदि अपराध बलात्कार (Rape) या POCSO Act से संबंधित है, तो जांच अधिकारी (Investigating Officer) को 60 दिनों के भीतर पूरी जांच (Investigation) बिना विलंब के पूरी करनी होगी।

Charge Sheet कैसे बनती है?

पुलिस अधिकारी अपनी जांच (Investigation) के आधार पर चार्जशीट (Charge Sheet) निम्नलिखित बिंदुओं के साथ तैयार करता है और मजिस्ट्रेट (Magistrate) को भेजता है:
  • पक्षकारों के नाम: पीड़ित (Victim) और आरोपी (Accused) के नाम।  
  • प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR): FIR का प्रारूप और विवरण।  
  • साक्षियों के नाम (Witnesses): मामले से परिचित व्यक्तियों, जैसे गवाहों (Witnesses) के नाम।  
  • अपराध का विवरण: अपराध हुआ या नहीं, यदि हुआ तो किसके द्वारा, और अपराध का कारण (Motive)।  
  • आरोपी की स्थिति: आरोपी (Accused) पुलिस हिरासत (Custody) में है या नहीं।  
  • जमानत (Bail): आरोपी (Accused) को जमानत (Bail) पर छोड़ा गया है या नहीं, और जमानत बंधपत्र (Bail Bond) की जानकारी।  
  • न्यायिक हिरासत (Judicial Custody): क्या आरोपी (Accused) को न्यायिक हिरासत (Judicial Custody) में भेजा गया है।  
  • महिला अपराध (Women-Related Crimes): यदि अपराध बलात्कार (Rape) या POCSO Act से संबंधित है, तो मेडिकल रिपोर्ट (Medical Legal Certificate - MLC) संलग्न की जाए।

लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) 

डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें। 

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