BNSS-330, पीड़ित-आरोपी न्यायालय में दस्तावेजों को कैसे फाइल करेंगे, जानिए

जब न्यायालय में किसी व्यक्ति को केस फाइल करना होता है, तब न्यायालय के कुछ औपचारिक नियम होते हैं, जिनको सबूत के रूप में तो आवश्यक नहीं माना जाता, पर न्यायालय में एक सूची के रूप में देना आवश्यक होता है, जिसे कोर्ट की भाषा में फेहरिस्त भी कहते हैं। जानते हैं, क्या हैं इसके नियम।

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 330 की परिभाषा

किसी पीड़ित व्यक्ति या आरोपी द्वारा न्यायालय के समक्ष कोई दस्तावेज फाइल किया जाना है, वहाँ पर ऐसे सभी दस्तावेज एक सूची में सम्मिलित किए जाएँगे। अगर आरोपी पक्ष या पीड़ित पक्ष का कोई वकील होगा, तो उसका प्रत्येक दस्तावेज, अर्थात् वकालतनामा भी, असली होना आवश्यक है। दस्तावेजों की सूची, अर्थात् फेहरिस्त, ऐसे प्रारूप में होगी, जैसा राज्य शासन द्वारा निर्धारित किया गया हो। 

अगर फेहरिस्त में दस्तावेज असली होना प्रतीत होते हैं, तब दस्तावेजों का हस्ताक्षरित होना आवश्यक नहीं है, एवं वे हस्ताक्षर के बिना ही संहिता के अधीन किसी जाँच, विचारण, एवं अन्य कार्यवाही में साक्ष्य के रूप में पढ़े जा सकते हैं, लेकिन यह न्यायालय के विवेकानुसार होगा कि हस्ताक्षर का होना या न होना आवश्यक है। लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) 

डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें। 

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