मध्य प्रदेश में सरकारी नौकरियों को लेकर हर कदम पर घोटाले होते हैं। MPPSC और MPESB वेरी डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन का काम ही नहीं करते। शिक्षक से लेकर प्रशासनिक अधिकारी तक कई घोटाले सुर्खियों में है। इस लिस्ट में एक और नाम जुड़ गया। स्वास्थ्य विभाग ने बिना डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के एक व्यक्ति को डॉक्टर के पद पर नियुक्ति दे दी। जब शिकायत हुई तब पता चला कि, डिग्री और रजिस्ट्रेशन दोनों फर्जी है।
JABALPUR शुभम अवस्थी - सरकारी नौकरी के लिए जान तक जोखिम में डाल दी
यह मामला जबलपुर के शुभम अवस्थी का है। श्री अवस्थी भारतीय जनता पार्टी के नेता भी है। कोरोना वायरस संक्रमण काल में जब सरकार को डॉक्टरों की अत्यंत जरूरत थी और डॉक्टर सरकार की नौकरी करने को तैयार नहीं थे तब शुभम अवस्थी ने अप्लाई किया। उन्होंने रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय से बीएएमएस की डिग्री और मध्यप्रदेश आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा बोर्ड का रजिस्ट्रेशन लगाया। मध्य प्रदेश शासन के स्वास्थ्य विभाग ने डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन किए बिना ही नियुक्ति दे दी, और भारतीय जनता पार्टी के नेता श्री शुभम अवस्थी, मध्य प्रदेश शासन के डॉक्टर शुभम अवस्थी हो गए। बाद में जबलपुर के शैलेन्द्र बारी नाम के एक व्यक्ति ने शिकायत की। लंबी प्रक्रिया के बाद न्यायालय ने शुभम अवस्थी के खिलाफ मामला दर्ज करने के आदेश जारी कर दिए हैं। इस कहानी में कई ध्यान देने वाली बातें हैं परंतु सबसे प्रमुख बिंदु यह है कि, भारतीय जनता पार्टी का नेता होने के बावजूद जबलपुर के एक युवक ने सरकारी नौकरी के लिए अपनी जान तक जो की में डाल दी। कोरोनावायरस संक्रमण काल में शुभम अवस्थी भी संक्रमित हो सकते थे। कई लोगों की मौत हुई है। शुभम अवस्थी की भी जान जा सकती थी।
शुभम अवस्थी कांड - कुछ ध्यान देने वाली बातें
- डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन क्यों नहीं हुआ। शिकायतकर्ता द्वारा डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के लिए जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का निवेदन क्यों नहीं किया गया।
- क्या केवल मध्य प्रदेश के जबलपुर में और अकेले शुभम अवस्थी को विदाउट डॉक्युमेंट्स वेरीफिकेशन नियुक्ति दी गई है या फिर शुभम के जैसे और भी बहुत सारे लोगों को नौकरी मिली थी।
- मध्य प्रदेश की जिन जिलों में शैलेन्द्र बारी नहीं है, वहां पर नौकरी कर रहे शुभम अवस्थियों की जांच कैसे होगी।
- रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय की फर्जी डिग्री सामने आई है। यह सुविधा केवल शुभम अवस्थी को मिली या फिर शैलेंद्र, रमेश, दिनेश और न जाने कितने सत्यम, शिवम; रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय की फर्जी डिग्री पर नौकरी कर रहे हैं।
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