EARTH के बारे में बड़ी खबर, Rotation असामान्य, SPIN प्रभावित हो गया है, आश्चर्यजनक कारण पढ़िए

WORLD EARTH DAY के ठीक पहले पृथ्वी के बारे में एक बड़ा खुलासा हुआ है। Science reveals में प्रकाशित हुए एक नए अध्ययन में बताया गया है कि पृथ्वी का Rotation असामान्य हो गया है। पृथ्वी की दूरी में धुरी (axis) बड़ा परिवर्तन हुआ है, SPIN प्रभावित हो गया है। लगभग 45 सेंटीमीटर wobble का बदलाव हुआ है, और बारिश के पानी से पृथ्वी का रिचार्ज होना भी कम हो गया है। इसके पीछे का कारण भी बड़ा आश्चर्यजनक है। 

पृथ्वी के संतुलन में परिवर्तन हो रहा है

प्रोफेसर क्लार्क विल्सन (Prof Clark Wilson), ऑस्टिन में टेक्सास विश्वविद्यालय के भूभौतिकीविद् (geophysicist) और अध्ययन के सह-लेखक बताते हैं कि, यह परिवर्तन सन 2000 से शुरू हुआ है। इसके पीछे का कारण ice loss या glacial rebound नहीं, बल्कि पूरी पृथ्वी में मिट्टी की नमी (soil moisture) में तेजी से आ रही कमी है। सन 2000 से 2002 तक सिर्फ 2 साल में पृथ्वी में मौजूद पानी में 1600 गीगाटन की कमी आई है। इसे सरल शब्दों में कहेंग तो लगभग 2,192 अरब लोगों के लिए 1 साल का पेयजल हमेशा के लिए खत्म हो गया। जबकि पृथ्वी की कुल जनसंख्या सिर्फ 8 अरब है। बात सिर्फ इतनी सी नहीं है। मिट्टी में नमी के कम हो जाने के कारण पृथ्वी के संतुलन में परिवर्तन हो रहा है। 

इस परिवर्तन ने पृथ्वी के SPIN को प्रभावित कर दिया है

दूसरी आश्चर्यजनक बात यह है कि, धरती का पानी समुद्र में चला गया है। यानी पृथ्वी के संतुलन पर डबल प्रेशर बना रहा है। एक तरफ धरती का 1.6 ट्रिलियन टन वजन कम हो गया है और दूसरी तरफ समुद्र का 1.6 ट्रिलियन टन वजन बढ़ गया है। इस परिवर्तन ने पृथ्वी के घूर्णन (spin) को प्रभावित कर दिया है। प्रोफेसर क्लार्क विल्सन (Prof Clark Wilson) ने बीबीसी साइंस फोकस को बताया कि कई वर्षों की अवधि थी जब एक विशेष जलवायु मॉडल (climate model) द्वारा भविष्यवाणी की गई थी कि महाद्वीपों से पानी का बड़ा नुकसान हुआ। तब हमारे पास इसकी सत्यता को जानने के लिए कोई माध्यम नहीं था लेकिन अब हमारे पास independent measurements हैं। 

ग्लेशियर का पिघलना इतना अधिक खतरनाक नहीं...

दक्षिण कोरिया के सियोल नेशनल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर की-वियोन सियो (Prof Ki-Weon Seo) के नेतृत्व में शोध टीम ने satellite radar data और models of soil moisture का उपयोग करके पता लगाया है कि समुद्र सहित पृथ्वी के सभी प्राकृतिक जल भंडारों में क्या हो रहा है। उनको जो परिणाम प्राप्त हुए वह चौंकाने वाले थे। उन्होंने बताया कि, धरती पर जमी हुई बर्फ के पिघलने से सिर्फ 0.8 मिलीमीटर प्रतिवर्ष का अंतर आया लेकिन मिट्टी की नमी में कमी के कारण समुद्र के स्तर में प्रतिवर्ष 1.95 मिली मीटर की वृद्धि हुई है। इसका अर्थ- ग्लेशियर का पिघलना इतना अधिक खतरनाक नहीं है जितना कि, धरती में तेजी से बढ़ रहा सूखा है। 

मिट्टी का रिचार्ज होना बंद हो गया है

प्रोफेसर की-वियोन सियो के अध्ययन में यह भी बताया गया है कि 2003 से लेकर 2016 तक मिट्टी में से 1000 गीगाटन पानी कम हो गया है। 2016 से लेकर 2022 तक पृथ्वी की नमी में कोई वृद्धि नहीं हुई है। इसके आधार पर निष्कर्ष निकलता है कि पृथ्वी के land water storage में स्थाई परिवर्तन हो चुका है। निरंतर बारिश के कारण भी पृथ्वी की नमी नहीं बढ़ रही है। इसके कारण पृथ्वी के द्रव्यमान (mass) का पुनर्वितरण (redistribution) हो रहा है। moment of inertia बदल रहा है। इन सब के कारण फाइनली पृथ्वी की धुरी (axis) में परिवर्तन हो रहा है। अध्ययन में यह भी बताया गया है कि, पूर्व और मध्य एशिया, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, और मध्य अफ्रीका की पृथ्वी में सबसे ज्यादा मात्रा में नमी कम हुई है। 

यहां उल्लेख करना जरूरी है कि सिर्फ 16,500 गीगाटन पानी मिट्टी में नमी बनाए रखना है। इसमें से 2600 टन पानी कम हो चुका है और वापस रिचार्ज नहीं हो रहा है। यदि औसत निकलते हैं तो 162.5 गीगाटन पानी प्रति वर्ष कम हो रहा है। यदि यही स्थिति बनी रही तो धरती के बड़े हिस्से में खेती असंभव हो जाएगी। 

विनम्र अनुरोध - कृपया हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें। सबसे तेज अपडेट प्राप्त करने के लिए टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करें एवं हमारे व्हाट्सएप कम्युनिटी ज्वॉइन करें।
व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए यहां क्लिक करें
कृपया गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें यहां क्लिक करें
टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें
X-ट्विटर पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
इसी प्रकार की रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारी प्राप्त करने के लिए कृपया स्क्रॉल करके सबसे नीचे POPULAR Category में knowledge पर क्लिक करें। समाचार, विज्ञापन एवं प्रतिनिधित्व पूछताछ के लिए व्हाट्सएप, टेलीग्राम ईमेल के माध्यम से संपर्क करें।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!