देवाधिदेव महादेव के रुद्र अवतार एवं चिरंजीवी श्री राम भक्त हनुमान का जन्म उत्सव अप्रैल 12, 2025, विक्रम संवत - 2082, कालयुक्त; शक सम्वत - 1947, विश्वावसु तिथि शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि को पूरी दुनिया में बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। शनि की साढ़ेसाती से पीड़ित लोगों के लिए यह दिन क्षमा प्राप्ति और कष्ट से मुक्ति का है। हनुमानजी ब्रह्मचारी हैं इसलिए इनकी पूजा सुबह 4 से रात 9 बजे तक कर सकते हैं। हनुमान जयंती की पूजा में भद्रा विचार नहीं किया जाता। अगस्त्य संहिता और वायु पुराण में लिखा है कि हनुमानजी की उम्र एक कल्प यानी 4.32 अरब साल है।
हनुमान जयंती की व्रत एवं पूजन विधि - Hanuman Jayanti's fasting and POOJAN VIDHI
हनुमान जयंती के दिन उपवास रखने वालों को एक दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए, साथ ही कुछ नियमों का पालन करना पड़ता है। इस दिन भक्तजन मंदिरों में अपने आराध्य देव के दर्शन करने और उनका आशीष लेने जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार, हनुमानजी बाल ब्रह्मचारी थे इसलिए इन्हें जनेऊ भी पहनाया जाता है और इनकी मूर्तियों पर सिंदूर और चांदी का व्रक भी चढ़ाते हैं। कहा जाता है राम की लंबी उम्र के लिए हनुमानजी अपने शरीर पर सिंदूर लगा लिया था और इसी कारण उन्हें भक्तों का सिंदूर चढ़ाना बहुत अच्छा लगता है। संध्या के ..समय दक्षिण मुखी हनुमान मूर्ति के सामने शुद्ध होकर हनुमानजी के चमत्कारी मंत्रों का भी जाप किया जाए तो यह बहुत फलदाई होता है हनुमान जयंती पर हनुमान चालिसा और रामचरितमानस के सुंदरकाण्ड पाठ को पढना भी हनुमानजी को प्रसन्न करता है।
राम नाम की महिमा का वर्णन और उनके काम के लिए हनुमानजी आज भी पृथ्वी पर सशरीर विराजमान हैं, इस बात का प्रमाण महाभारत में मिलता है। हनुमानजी कलियुग के अंत तक धर्म की रक्षा के लिए पृथ्वी पर रहे बजरंगबली चिरायु हैं, भगवान राम ने इन्हें वरदान दिया है। कहते हैं धरती पर जहां भी रामकथा का आयोजन होता है, वहां हनुमानजी किसी ना किसी रूप में मौजूद होते हैं इसलिए रामजी की पूजा में हनुमान जी पूजा जरूर होती है।
हनुमान जी की जन्म कथा - The birth story of Hanuman ji
समुद्रमंथन के बाद भगवान शिव ने भगवान विष्णु का मोहिनी रूप देखने की इच्छा प्रकट की थी। जो उन्होनें समुद्र मंथन के दौरान देवताओं और असुरों को दिखाया था। उनकी इच्छा का पालन करते हुए भगवान बिष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर लिया। भगवान बिष्णु का आकर्षक रूप देखकर शिवजी कामातुर हो गए और उन्होंने अपना वीर्यपात कर दिया। पवनदेव ने शिवजी के वीर्य को वानर राजा केसरी की पत्नी अंजना के गर्भ में प्रविष्ट कर दिया। इस तरह अंजना के गर्भ से वानर रूप हनुमान का जन्म हुआ। उन्हें शिव का 11वां रूद्र अवतार माना जाता है।
हनुमान जयंती पर पूजन का महत्व
भक्त हनुमान को मनाने के लिए किसी विशेष प्रकार की पूजा या फिर अर्चना की आवश्यकता नहीं होती बस राम का नाम ही काफी है। लेकिन पंडितों के अनुसार कुछ ऐसे उपाय हैं जिन्हें करने से अंजनी पुत्र श्री हनुमान प्रसन्न हो जाते हैं और साधक पर कृपा बरसाते हैं। ऐसे में चैत्र पूर्णिमा पर हनुमान जयंती के शुभ अवसर पर आप भी इन उपायों को अपनाकर प्रभु की कृपा के पात्र बन सकते हैं। तो आइए इन उपायों के बारे में जानते हैं
इस दिन सुंदरकांड, हनुमानाष्टक, बजरंग बाण का पाठ करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। हनुमान जी को 5 देसी घी की रोटी का भोग लगाना चाहिए। जयंती के दिन रक्त दान करने से दुर्घटनाओं से बचे रहेंगे। किसी रोगी की सेवा करनी चाहिए। इससे आप निरोगी बने रहेंगे। घर के मंदिर की छत पर लाल झंडा लगाने से आकस्मिक संकटो से छुटकारा मिलता है।
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