मध्य प्रदेश में शासकीय कर्मचारियों के स्थानांतरण पर मुख्यमंत्री द्वारा प्रतिबंध लगाया गया है। प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा इस प्रतिबंध के बावजूद कर्मचारियों का कार्यस्थल परिवर्तित किया जा रहा है। अटैचमेंट के नाम पर शासकीय कर्मचारी को एक ऑफिस से दूसरे ऑफिस में काम करने के लिए भेज दिया जाता है। हाई कोर्ट ने आज एक मामले की सुनवाई करते हुए अटैचमेंट ऑर्डर को निरस्त कर दिया। वकील ने दलील दीदी की अटैचमेंट, एक प्रकार का ट्रांसफर है और ट्रांसफर पर प्रतिबंध है।
कार्य विभाजन के नाम पर जिला मुख्यालय से तहसील भेज दिया
श्री मनोज कुमार भारद्वाज, सहायक ग्रेड दो, तहसील कार्यालय, नर्मदापुरम को कार्य विभाजन के आधार पर नवंबर 2024 में इटारसी अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय में पदस्थ किया गया था। श्री भारद्वाज द्वारा लगातार अभ्यावेदन देने के कारण नर्मदापुरम कलेक्टर ने उन्हें दिनांक 07/03/2025 को इटारसी अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय में अटैच कर दिया था।
श्री मनोज कुमार भारद्वाज ने इस कथित द्वेषपूर्ण अटैचमेंट आदेश को जबलपुर उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। उनके अधिवक्ता श्री अमित चतुर्वेदी ने उच्च न्यायालय को बताया कि नर्मदापुरम कलेक्टर का आदेश अधिकारिता से परे है, क्योंकि सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी प्रकार के अटैचमेंट पर प्रतिबंध लगा रखा है। कार्य विभाजन या व्यवस्था के आधार पर किसी कर्मचारी को अटैच करना शासन के निर्देशों का उल्लंघन है।
कारण बताओ नोटिस जारी करके कर्मचारियों को डराया जा रहा था
जिला कलेक्टर शासन के आदेशों का पालन करने के लिए उत्तरदायी है। किसी कर्मचारी का प्रशासनिक स्थानांतरण नीति के अनुसार हो सकता है, किंतु परेशान करने के उद्देश्य से अटैचमेंट करना नियम-विरुद्ध है। अतः अटैचमेंट आदेश को निरस्त किया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त, अटैचमेंट आदेश के पालन हेतु श्री भारद्वाज को कारण बताओ नोटिस जारी कर परेशान किया जा रहा है।
उच्च न्यायालय, जबलपुर ने अधिवक्ता श्री अमित चतुर्वेदी को सुनने के पश्चात श्री मनोज कुमार भारद्वाज के अटैचमेंट आदेश दिनांक 07/03/2025 को निरस्त कर दिया।
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