AC-E STROM अर्थात अमेरिका और चीन के कारण वर्ल्ड इकोनॉमिक तूफान शुरू हो चुका है। अब यह रुकने वाला नहीं है क्योंकि इसकी शुरुआत 10 साल पहले हुई थी और अब दुनिया भर पर इसका असर दिखाई देने लगा है। हम आपको बताते हैं कि भारत की जनता पर इसका क्या असर पड़ेगा। भारत के बाजार में क्या सस्ता हो जाएगा और क्या महंगा हो जाएगा।
सबसे पहले पढ़िए लड़ाई कितने मोर्चों पर हो रही है
अपने समाचारों में "टैरिफ" के बारे में सुना होगा और अब तक यह भी समझ गए होंगे कि अमेरिका में टैरिफ का मतलब टैक्स होता है। अमेरिका के राष्ट्रपति ने दूसरे देशों से आने वाले प्रोडक्ट पर टैक्स बढ़ा दिया। इसके कारण अमेरिका की जनता को विदेशी प्रोडक्ट के लिए ज्यादा पैसे देने पड़ेंगे। दुनिया भर के देश इसलिए परेशान है क्योंकि अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है। वहां लॉकडाउन जैसी स्थिति हो जाएगी। लोग विदेशी चीजों के बिना जीवन यापन शुरू कर देंगे। कोई विकल्प तलाश कर लेंगे। यदि अमेरिका नहीं खरीदेगा तो प्रोडक्शन ही बंद करना पड़ जाएगा।
चीन में डॉलर की बैंड बजा दी है
यह तो एक बात हो गई लेकिन बात सिर्फ इतनी सी नहीं है। चीन पिछले 10 साल से अमेरिका के खिलाफ इकोनामिक मोर्चाबंदी कर रहा है। अमेरिका की सबसे बड़ी ताकत डॉलर है। दुनिया भर में जितना भी व्यापार होता है उसका 70% अमेरिकन डॉलर्स में होता था लेकिन अब यह घटकर 53% रह गया है। चीन दूसरों को कर्ज दे रहा है और बदले में शर्त रख रहा है कि, अमेरिका के डॉलर नहीं बल्कि चीन की करेंसी युआन में ट्रेडिंग कीजिए। अब स्पष्ट हो गया कि दुनिया में डॉलर का दबदबा खत्म होता जा रहा है।
डोनाल्ड अंकल को क्रिप्टोकरंसी से प्यार है
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमेरिका में जितने भी राष्ट्रपति हुए। सब का सिर्फ एक ही टारगेट रहा है कि किसी भी तरह से डॉलर को दुनिया की सबसे पावरफुल करेंसी बनाए रखा जाए। कहते तो यहां तक भी है कि जिस भी देश ने डॉलर में व्यापार करने से मना किया। चीन ने उस देश में तबाही मचा दी। कभी सद्दाम हुसैन को मारा तो कभी ईरान के बाजे बजा दिए। लेकिन अब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप है। डोनाल्ड अंकल को डॉलर से ज्यादा क्रिप्टोकरंसी प्यारी है। उन्होंने कुर्सी संभालते ही क्रिप्टो करेंसी की वैल्यू बढ़ाना शुरू कर दिया है। इसके कारण भी डॉलर की वैल्यू कम हो रही है।
भारत में क्या सस्ता हो जाएगा
अब सवाल उठता है कि डॉलर की वैल्यू कम हो जाने के कारण भारत के बाजार पर क्या असर पड़ेगा। कौन सी चीज सस्ती हो जाएगी और कितनी वस्तुएं महंगी हो जाएगी।
- GOLD अर्थात सोना सस्ता हो जाएगा क्योंकि दुनिया भर में गोल्ड की ट्रेडिंग अमेरिकन डॉलर में होती है।
- पेट्रोल डीजल सस्ते हो जाएंगे क्योंकि भारत में पेट्रोल और डीजल का मूल्य निर्धारण अमेरिकन डॉलर के आधार पर होता है।
- एप्पल का आईफोन सस्ता हो जाएगा क्योंकि एप्पल तो अमेरिका की कंपनी है।
- अमेरिका से आने वाले लैपटॉप, स्मार्टफोन, स्मार्ट टीवी और सभी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स सस्ते हो जाएंगे।
- पाम ऑयल, सोयाबीन तेल, चॉकलेट, विदेशी फल सस्ते हो जाएंगे।
- विदेश यात्रा सस्ती हो जाएगी।
भारत में क्या महंगा हो जाएगा
- भारत में बनने वाले आभूषण और कपड़े महंगे हो जाएंगे।
- TCS, Infosys जैसी कंपनियों की सेवाएं महंगी हो जाएगी।
- दाल, चावल, दूध, सब्जियाँ महंगे हो जाएंगे।
- मेडिकल इक्विपमेंट सस्ते हो जाएंगे लेकिन दवाइयां महंगी हो जाएगी।
- ऑटोमोबाइल पार्ट्स महंगे हो जाएंगे।
- एग्रीकल्चर की मशीनरी महंगी हो जाएगी।
- मोटर पंप और इंडस्ट्रियल वाल्व महंगे हो जाएंगे।
- पुणे, चेन्नई, और गुड़गाँव के बाजार पर सबसे बड़ा असर पड़ेगा।
- फार्मा केमिकल्स, डाई और पेंट सामग्री महंगी हो जाएगी।
- प्रोसेस्ड फूड और सीफूड महंगे हो जाएंगे।
- हल्दी मिर्च और जीरा महंगे हो जाएंगे।
- चमड़े के जूते, बैग, जैकेट इत्यादि महंगे हो जाएंगे।
- आगरा, कानपुर और चेन्नई के बाजार पर सबसे बड़ा असर पड़ेगा।
- हैंडीक्राफ्ट, कालीन, कारपेट, इंटीरियर डिजाइनिंग के समान महंगे हो जाएंगे।
- पीतल की मूर्तियां और जयपुरी रजई महंगी हो जाएगी।
- आईटी सेक्टरकी तो बैंड बज जाएगी।
- बीपीओ सेक्टर भी भांगड़ा करते हुए दिखाई देगा।
कर्मचारियों की सैलरी पर क्या असर पड़ेगा
इस आर्थिक तूफान में सबसे बड़ा नुकसान उन कर्मचारियों का होगा जो, अमेरिका के साथ व्यापार करने वाली कंपनियों में काम करते हैं या फिर ऐसी कैटेगरी में काम करते हैं, इसके प्रोडक्ट अमेरिका या अन्य किसी देश में सबसे ज्यादा निर्यात होते हैं। उदाहरण के लिए आप किसी सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करते हैं। आपकी कंपनी किसी दूसरी कंपनी के लिए सॉफ्टवेयर बनाती है। दूसरी कंपनी अमेरिका में सॉफ्टवेयर सप्लाई करती है। कुल मिलाकर सॉफ्टवेयर एक ऐसी कैटेगरी है, जो पूरी तरह से अमेरिका पर डिपेंड है। आपकी कंपनी अमेरिका से डायरेक्ट कनेक्ट हो या ना हो लेकिन इस आर्थिक तूफान में भारत की हर सॉफ्टवेयर कंपनी बह जाएगी।
क्या भारत के किसानों पर भी कोई असर पड़ेगा
बिल्कुल पड़ेगा। भारत बड़े पैमाने पर दाल, चावल, दूध और सब्जियों का निर्यात करता है। यह ऐसे प्रोडक्ट है जो एक निश्चित समय के बाद खराब हो जाते हैं। जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत ही नहीं मिलेगी तो कोई क्यों अपना अपना उत्पादन निर्यात करेगा। निर्यात कम होगा तो भारत में स्टॉक बढ़ जाएगा। स्टॉक बढ़ जाएगा तो भारत में भी दाल चावल की कीमत कम हो जाएगी।
सबसे ज्यादा नुकसान किन राज्यों के व्यापारियों को होगा
इस आर्थिक तूफान का सबसे ज्यादा नुकसान गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और ओडिशा राज्यों को होगा। इन राज्यों के व्यापारी सबसे ज्यादा निर्यात करते हैं। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ जैसे आत्मनिर्भर राज्यों पर कम असर पड़ेगा। कुल मिलाकर बड़ी उठा पटक होने वाली है, भाई। इसके लिए तैयार हो जाइए।
अमेरिका तो कर्ज में डूब गया भाई
अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक ताकत है परंतु बहुत सारे लोग यह नहीं जानते कि अमेरिका ने दुनिया भर से कर्जा लेकर खुद को दुनिया का सबसे अमीर देश बना लिया है। उसने दुनिया भर को अपने ट्रेजरी बॉन्ड दे दिए थे। बदले में पैसा ले लिया था। सरल हिंदी में आप इसे ऐसे समझ सकते हैं कि, आपको आपके घर का अलग-अलग हिस्सा गिरवी रखने का मौका मिल जाए। किसी को खिड़की, किसी को दरवाजे, किसी को रेलिंग, किसी को डाइनिंग टेबल गिरवी रखकर आप लोन लेने का मौका मिल जाए तो आपको जब जितनी जरूरत पड़ेगी उतना लोन ले सकते हैं। अमेरिका ने भी ऐसा ही किया। लेकिन अब पता चला है कि, आपके घर और सामान की कुल कितनी कीमत है, उससे ज्यादा लोन ले लिया है। एक देश के पास डाइनिंग टेबल गिरवी रखी है। वह सोच रहा था की पूरी डाइनिंग टेबल है लेकिन अब पता चल रहा है कि, डाइनिंग टेबल की कुर्सियां किसी और देश के पास गिरवी है। अब अमेरिका से झगड़ा करेंगे तो वह परमाणु बम लेकर खड़ा हो जाएगा। इसलिए चीन सहित कई सारे देश अमेरिका के ट्रेजरी बॉन्ड बाजार में बेच रहे हैं। इसके कारण अमेरिका आर्थिक संकट में फस गया है और यदि तत्काल कोई बड़ा कदम नहीं उठाया तो बर्बाद होने वाला है। ✒ उपदेश अवस्थी।
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