Madhya Pradesh Public Service Commission, Indore अपने आप में अनोखी संस्था है। हर किसी को परीक्षा का उम्मीदवार समझती है। किसी को गंभीरता से नहीं लेती। हाईकोर्ट ने MPPSC 2025 पर रोक लगा दी है। एमपीपीएससी से जानकारी मांगी थी। आज आयोग ने हाईकोर्ट में एक बंद लिफाफा प्रस्तुत किया। बंद लिफाफा का मतलब होता है इसके अंदर शासन द्वारा घोषित की गई गोपनीय जानकारी है, जिसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। हाई कोर्ट ने जब बंद लिफाफा खोल कर देखा तो उसके अंदर ऐसा कुछ भी नहीं था। हाई कोर्ट ने लिफाफा सार्वजनिक कर दिया। अब एमपीपीएससी को लास्ट चांस दिया गया है।
MPPSC SSE 2025 - हाई कोर्ट में कार्यवाही का विवरण
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में एमपीपीएससी राज्य सेवा परीक्षा-2025 (MPPSC State Service Examination-2025) की मुख्य परीक्षा (Main Examination) से जुड़े प्रकरण की सुनवाई माननीय मुख्य न्यायमूर्ति श्री सुरेश कुमार कैत तथा न्यायमूर्ति विवेक जैन की डिवीजन बेंच में दूसरी बार की गई। इस मामले की पिछली सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत व न्यायमूर्ति विवेक जैन की युगलपीठ ने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (Madhya Pradesh Public Service Commission) द्वारा आयोजित राज्य सेवा परीक्षा-2025 (State Service Examination-2025) की मुख्य परीक्षा (Main Examination) के आयोजन पर अंतरिम रोक (interim stay) लगा दी थी। साथ ही स्पष्ट किया था कि अब कोर्ट की अनुमति के बिना मुख्य परीक्षा का आयोजन नहीं होगा।
MPPSC ने Category wise cut-off marks जारी नहीं किए थे
Madhya Pradesh Public Service Commission, Indore को निर्देश दिया गया था कि राज्य सेवा परीक्षा की प्रारंभिक परीक्षा (Preliminary Examination) के वर्गवार कट-ऑफ मार्क्स (cut-off marks) जारी किए जाएँ। High Court ने आयोग से यह स्पष्ट करने को कहा था कि आरक्षित वर्ग के कितने प्रतिभावान अभ्यर्थियों को अनारक्षित वर्ग में चयनित किया गया। इसके लिए दो सप्ताह की मोहलत दी गई थी। मामले की सुनवाई 15 अप्रैल, 2025 को नियत की गई थी। याचिकाकर्ता, भोपाल निवासी सुनीत यादव सहित अन्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर व विनायक प्रसाद शाह ने पक्ष रखते हुए दलील दी थी कि मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ने 158 पदों की भर्ती (Recruitment) के लिए 5 मार्च, 2025 को प्रारंभिक परीक्षा (Preliminary Examination) का परिणाम (result) घोषित किया था। इसमें वर्गवार कट-ऑफ अंक (cut-off marks) जारी नहीं किए गए, जबकि पूर्व की सभी परीक्षाओं में ऐसा किया जाता रहा है।
परीक्षा के पहले चरण में आरक्षण लागू नहीं किया गया
Supreme Court और High Court के विभिन्न फैसलों को दरकिनार करते हुए आयोग अनारक्षित पदों के लिए आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा (Main Examination) के लिए चयनित नहीं कर रहा। सभी अनारक्षित पद सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित करके प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया। आयोग ने इस त्रुटि को छिपाने के लिए 2025 की प्रारंभिक परीक्षा में कट-ऑफ मार्क्स (cut-off marks) जारी नहीं किए।
हाई कोर्ट ने एमपीपीएससी के बंद लिफाफे को सार्वजनिक कर दिया
High Court के आदेश के पालन में 15 अप्रैल, 2025 को बंद लिफाफे में कट-ऑफ मार्क्स (cut-off marks) प्रस्तुत किए गए। न्यायालय ने लिफाफा खोलने पर पाया कि इसमें गोपनीय दस्तावेज नहीं हैं और इसे सार्वजनिक कर दिया। एक प्रति याचिकाकर्ताओं के वकील को प्रदान करने का आदेश दिया गया। राज्य शासन को याचिका में उठाए गए कानून से संबंधित मुद्दों पर दो सप्ताह के भीतर जवाब (response) दाखिल करने का निर्देश दिया गया। यदि शासन दो सप्ताह में जवाब दाखिल नहीं करता, तो 15,000 रुपये के जुर्माने (fine) के साथ जवाब देना होगा। मामले की अगली सुनवाई 6 मई, 2025 को नियत की गई।
याचिका में लोक सेवा आयोग (Public Service Commission) के अधिवक्ता के परस्पर विरोधी तर्कों को देखते हुए, कोर्ट ने आयोग को निर्देश दिया कि मामले की जानकारी रखने वाला अधिकारी अगली सुनवाई पर उपस्थित रहे। आयोग के जवाब से हाई कोर्ट (High Court) संतुष्ट नहीं हुआ, इसलिए आयोग को निर्देश दिया गया कि अगली सुनवाई से पहले उचित जवाब (response) दाखिल किया जाए।
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक प्रसाद शाह, आर.जी. वर्मा, पुष्पेंद्र शाह, विद्याराज शाह, शिवांशु कोल, और अखिलेश प्रजापति उपस्थित हुए।
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