सोचिए: एक ओर दुनिया climate change से उपजे भयंकर गर्मी, बाढ़ और खाद्य संकट से जूझ रही है, दूसरी ओर कुछ अमीर लोग space tourism के लिए अंतरिक्ष की सैर कर रहे हैं। यह दौड़ केवल शौक नहीं, बल्कि climate injustice और गैर-जिम्मेदारी का प्रतीक बन चुकी है।
Space Tourism: चमक के पीछे कड़वी हकीकत
हाल ही में एक निजी मिशन ने दस मशहूर महिलाओं को अंतरिक्ष भेजा, जिसे “महिलाओं का ऐतिहासिक पल” करार दिया गया। लेकिन विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं: इस space tourism की चमक-दमक के पीछे भारी carbon footprint और climate change के शिकार लोगों के साथ बढ़ता अन्याय छिपा है।
ऊंची उड़ान, भारी Carbon Footprint
एक sub-orbital space flight महज कुछ मिनट की सैर है, लेकिन इसका carbon footprint किसी आम व्यक्ति के सालों के उत्सर्जन से कहीं अधिक है। पहले अंतरिक्ष मिशन सैटेलाइट, climate monitoring, और चिकित्सा अनुसंधान के लिए थे। आज का space tourism? न विज्ञान में योगदान, न सामाजिक भलाई—केवल मनोरंजन और दिखावा। ऐसे समय में, जब carbon emissions कम करना जरूरी है, space tourism के लिए उड़ान भरना केवल लापरवाही नहीं, बल्कि नैतिक चुनौती है।
Climate Injustice: असमानता की सैर
Space tourism ने वैश्विक असमानता को उजागर किया है। गरीब देश और कमजोर समुदाय, जो सबसे कम प्रदूषण करते हैं, climate change के सबसे बड़े शिकार हैं। वहीं, सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने वाले अंतरिक्ष में अपनी अमीरी का जश्न मना रहे हैं। इसकी असली कीमत वे चुका रहे हैं, जिनके लिए अंतरिक्ष की सैर एक दूर का सपना है।
Greenwashing के नाम पर नारीवाद
“महिलाएं अंतरिक्ष में” मिशन को प्रगतिशीलता का प्रतीक बताया गया, लेकिन विशेषज्ञ इसे greenwashing का खतरनाक उदाहरण मानते हैं। सच्चा feminism सभी के लिए समानता और पर्यावरण की भलाई की बात करता है, न कि चुनिंदा लोगों के शौक को “प्रगति” का नाम देता है।
मीडिया का दायित्व: सच को सामने लाना
मीडिया, सरकारें, और कंपनियों की जिम्मेदारी है कि space tourism की चमक के साथ-साथ इसके environmental impact को भी उजागर करें। यदि केवल रॉकेट लॉन्च का ग्लैमर दिखाया जाएगा, तो climate change की हकीकत पीछे छूट जाएगी। हर हेडलाइन, हर कहानी अब मायने रखती है।
पहले धरती, फिर अंतरिक्ष
Space tourism में पैसा बहाने से पहले, हमें धरती को बचाने की चिंता करनी चाहिए। जब अरबों लोग बाढ़, सूखा, और समुद्र के बढ़ते स्तर से जूझ रहे हैं, तब अंतरिक्ष की सैर हमारी प्राथमिकताओं पर सवाल उठाती है।
ज्यादातर लोगों के लिए “प्लैनेट बी” कोई विकल्प नहीं है। हमारी असली यात्रा अंतरिक्ष की सैर नहीं, बल्कि धरती को बचाने की होनी चाहिए—सभी के लिए, न कि केवल कुछ के लिए। लेखिका मयूरी जलवायु और ऊर्जा क्षेत्र में सक्रिय एक लीगल एक्सपर्ट हैं।