Astronomers की प्रत्येक नई खोज उनकी पुरानी जानकारी और मान्यताओं को ध्वस्त कर देती है। एक बार फिर ऐसा ही हुआ है। ब्रह्मांड की सबसे पहली गैलेक्सी में भरपूर मात्रा में ऑक्सीजन मिली है और यह गैलेक्सी रासायनिक रूप से भी परिपक्व है। हम यानी पृथ्वी के इंसान इस गैलेक्सी से इतनी दूर है कि, इसके प्रकाश को पृथ्वी तक पहुंचने में 134 अरब वर्ष का समय लगा। अर्थात आज जो हमें पता चला है, वह 134 अरब वर्ष पहले हुआ था। आपको तो याद होगा कि हमारे अपने सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक पहुंचने में 8 मिनट का समय लगता है। जरा सोचिए ब्रह्मांड की पहली गैलेक्सी से हम कितनी दूर हैं।
अंतरिक्ष विज्ञान की पुरानी मान्यता गलत साबित हुई
साल 2024 में जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) के NIRCam उपकरण का उपयोग करके JWST एडवांस्ड डीप एक्स्ट्रागैलेक्टिक सर्वे (JADES) कार्यक्रम के दौरान हम इंसानों को इस गैलेक्सी के बारे में पहली बार पता चला था। तब से दुनिया भर के खगोलविद इसके बारे में जानकारी जुटा रहे हैं। फिलहाल इस गैलेक्सी का नाम JADES-GS-z14-0 रखा गया है। यह ब्रह्मांड के जिस हिस्से में मौजूद है उस हिस्से को फ़ोर्नैक्स नक्षत्र नाम दिया है। यहां पर ऑक्सीजन का मिलन और रासायनिक परिपक्वता ने यह स्पष्ट कर दिया है कि हमारे पूर्वज खगोलविदों ने ब्रह्मांड और गैलेक्सी के बनने और नष्ट हो जाने के बारे में जो कुछ भी बताया है वह पर्याप्त नहीं है।
ब्रह्मांड में सबसे तेजी से विकसित होने वाली गैलेक्सी का नाम
The Astrophysical Journal में प्रकाशित हुई इस स्टडी रिपोर्ट के प्रमुख लेखक एवं लीडेन ऑब्जर्वेटरी, नीदरलैंड्स के पीएचडी शोधार्थी सैंडर शॉउज़ का कहना है कि, आप इस खोज के महत्व को इस प्रकार समझ सकते हैं कि, हमारे पूर्वजों ने हमें बताया था कि ब्रह्मांड की जिस हिस्से में शिशु मिलेंगे, वहां हमको 15 वर्ष का हष्टपुष्ट बालक मिल गया है। इस रिसर्च में यह प्रमाणित हो गया कि, यह गैलेक्सी बहुत तेजी से विकसित हुई थी। हमारे पूर्वज खगोलविदों ने बताया था कि, गैलेक्सी के बनने की बहुत लंबी प्रक्रिया होती है। एक गैलेक्सी को बनने में 1-10 अरब वर्ष लगते हैं, परंतु यह गैलेक्सी तो तभी बन गई थी जब ब्रह्मांड सिर्फ 300 मिलियन वर्ष पुराना था।
बड़ा सवाल: धार्मिक कथाओं पर विश्वास क्यों ना करें
इस अपडेट के बाद एक बार फिर वही प्रश्न उपस्थित होता है कि हम भारत के लोग अपनी धार्मिक कथाओं पर विश्वास क्यों ना करें। हमारी कथाओं में उल्लेख है कि, मिल्की वे के अलावा भी गैलेक्सी है। हमसे पहले ब्रह्मांड में कई प्रकार के जीव थे। उनको जीवित रहने के लिए पृथ्वी जैसे पर्यावरण की आवश्यकता नहीं थी। नारद मुनि के प्रसंगों में इस बात का उल्लेख मिलता है। क्या कोई विश्वास पूर्वक कह सकता है कि 5000 वर्ष पूर्व भारत के कवियों और लेखकों की कल्पना शक्ति इतनी अच्छी थी, कि वह ब्रह्मांड के विषय में कुछ सोच पाते। क्या यह निरंतर घटित होने वाला इत्तेफाक नहीं है कि, उन्होंने जो कुछ भी वर्णन किया वह सब कुछ प्रमाणित होता जा रहा है।
विनम्र अनुरोध - कृपया हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें। सबसे तेज अपडेट प्राप्त करने के लिए टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करें एवं हमारे व्हाट्सएप कम्युनिटी ज्वॉइन करें।
इसी प्रकार की रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारी प्राप्त करने के लिए कृपया स्क्रॉल करके सबसे नीचे POPULAR Category में knowledge पर क्लिक करें। समाचार, विज्ञापन एवं प्रतिनिधित्व पूछताछ के लिए व्हाट्सएप, टेलीग्राम ईमेल के माध्यम से संपर्क करें।
कृपया गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें यहां क्लिक करें |
टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें |
व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए यहां क्लिक करें |
X-ट्विटर पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें |